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Showing posts from 2017

एक मसीहा ऐसा ।

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एक मसीहा ऐसा आया,           आकर अल़ख जगाई थी, युगों-युगों से सोई अपनी,            सोती कौम जगाई थी ! ज़ुल्मों और अत्याचारों से,            जीना बड़ा दुश्वार था, पीठ पर झाड़ू गले ह...

''पहली किरण''

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-सुबह ऐसे लौटीं है दबे पांव ।। -जैसे कोई देर से लौटा हो घर में ।। -सुबह की पहली किरण को जब देखा मैंने ।। -हरी घास के ऊपर पड़ीं ओस की बूंदों से होकर ।। -मानो कुछ कहना चाहती हो ।। -पर क्य...

।। माँ ।।

लेती नहीं दवाई "माँ", जोड़े पाई-पाई "माँ"। दुःख थे पर्वत, राई "माँ", हारी नहीं लड़ाई "माँ"। इस दुनियां में सब मैले हैं, किस दुनियां से आई "माँ"। दुनिया के सब रिश्ते ठंडे, गरमागर्म रजाई...

बावरा मन

   💓बहकता बावरा मन💓 जब मिली थी वो मुझे.. उसकी आँखो में मुझे वो दिखा. जो पहले कभी कहीं नही दिखा.. बहकते बावरें मेरे मन में हलचल हुई . जब उसने दायें हाथ की अँगुली मेरे दिल पे रखी.. तो दिल के सारे ताले खुल गयें..... बस फिर में चल पडा़ एक अनजान राह पर....... कुछ लम्हें यूँ गुजर गयें .. जैसें कहीं शांत जगह से तुफान तेजी से निकल गया ... और पिछे छोड़ गया एक सन्नाटा ........ दिन बिते - रातें बिती. बिते कुछ अजीब लम्हें... लेकिन उन लम्हों को नही मिटा सका कोई भीं.... क्यूंकि वो पहला प्यार जो था.... आज जब भी मिलती हैं वो मुझें .. बस वो पल याद आ जाते हैं. फिर बहकते बावरे मन को समझाकर.. निकल जाता हुं उसकी गली सें....... मालुम हैं. मुझे वो लम्हे वो पल. कभी नहीं लोटेंगे फिर से वापस.. लेकिन इंतजार हैं आज भी उसका. जिसने वो पल वो लम्हें मेरे लिए यादगार बनाऐं.. ना जाने एक कश्क सी है मन में... उसके जाने के बहुत समय बाद भी.. ना मैं उसको भूला पाता हूं और ना भूल पाता हूं... एक बार फिर से मैं उन लम्हों मे लौट जाना चाहता हुं और उन लम्हों को क...